पूर्णरूपेण अिहंसक नहीं हुआ जा सकता
भगवान् कृष्ण ने स्वयम कहा था --"जहाँ शांित और अिहंसा से कार्य न हो, वहाँ िहंसा और युद्घ आवश्यक हैं।
But question is , how much tolerant you are, The degree of tolerance decides our level of non-violence.
---SURAJ
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