सूरज

सूरज

Tuesday, May 08, 2007

सन्यासी का गीत--

My favourite song---
मत जोडो गृह द्वार समां तुम सको कहॉ आवास ?
दूर्वादल हो तल्प तुम्हारा , गृह िवताऩ आकाश।
खाद्य स्वतः जो प्राप्त, पक्व वा इतर न दो तुम ध्यान,
खान पान से कलुिषत होती , आत्मा वह न महान,
जो प्रबुद्ध हो तुम प्रवािहनी स्त्रोतिस्वनी समान ,
रहो मुक्त , िनर्दंद्व, वीर सन्यासी छेडो तान,
ॐ तत् सत्।

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